9789392017155
वाम प्रकाशन 2024
Language: Hindi
408 Pages
5.5 x 8.5 Inches
Price INR 750.0 Not Available
यह किताब साहित्यिक कृतियों के सिनेमाई रूपांतरण के सैद्धांतिक पक्षों पर प्रकाश डालती है, साथ ही सिनेमा के उन सब पहलुओं का भी सोदाहरण परिचय देती है जिन्हें फ़िल्म को समझने के लिए जानना ज़रूरी है।
लेखक ने हिंदी और अन्य भाषाओं की कई साहित्यिक कृतियों और उन पर बनी फ़िल्मों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए रूपांतरण प्रक्रिया की चुनौतियों पर विचार किया है। पुस्तक में भारतीय फ़िल्मों के तकनीकी विकास की भी एक झलक है। लेखक ने बताया है कि किस तरह कैमरे की गुणवत्ता, साउंड रिकॉर्डिंग और एडिटिंग के साथ-साथ संवाद अदायगी और गीतों की प्रस्तुति में बदलाव आया। इसमें अनेक क्लासिक फ़िल्मों की निर्माण प्रक्रिया और उससे जुड़े रोचक प्रसंग हैं।
पिछले एक-दो दशकों में प्रदर्शित कई हिंदी फ़िल्मों के ज़रिए फ़िल्म उद्योग के चरित्र की पड़ताल करने की भी कोशिश की गई है। बिमल रॉय, सत्यजित राय और मणि कौल जैसे दिग्गज निर्देशकों की विशिष्टताओं पर रोशनी डाली गई है और प्रेमचंद के संक्षिप्त फ़िल्मी सफ़र की भी चर्चा है।