तख़्तापलट

तीसरी दुनिया में अमेरिकी दादागिरी

Vijay Prashad

Illustrated by : Sanjay Kundan

9788195354641

वाम प्रकाशन 2021

Language: Hindi

156 Pages

5.5 x 8.5 Inches

In Stock!

Price INR 250.0 Price USD 15.0

About the Book

‘अपने हीरो एदुआर्दो गालेआनो की तरह विजय प्रशाद ने सच के बयान को भी मनभावन बना दिया है। यह काम आसान नहीं है पर वे उसे सहजता से कर ले जाते हैं।’ – रोजर वॉटर्स, पिंक फ्लॉयड


‘इस किताब को पढ़ते हुए अमेरिकी दादागिरी द्वारा उम्मीदों पर कुठाराघात की अनगिनत घटनाएं दिमाग में कौंध जाती हैं।’ – इवो मोरालेस आइमा, बोलीविया के पूर्व राष्ट्रपति


तख़्तापलट मार्क्सवादी पत्रकारिता और इतिहास लेखन की शानदार परंपरा में लिखी गई है। इसमें बेहद पठनीय और सहज कहानियां हैं, जो अमेरिकी साम्राज्यवाद के बारे में खुलकर बताती हैं लेकिन व्यापक राजनीतिक मुद्दों के बारीक पहलुओं को भी छोड़ती नहीं। वैसे एक तरह से यह किताब निराशा से भरी है और महान लक्ष्यों की पराजय का शोकगीत प्रस्तुत करती है। इसमें आपको कसाई मिलेंगे और भाड़े के हत्यारे भी। इसमें जनांदोलनों और लोकप्रिय सरकारों के ख़िलाफ़ साज़िश रचे जाने तथा तीसरी दुनिया के समाजवादियों, मार्क्सवादियों और कम्युनिस्टों की उस देश द्वारा हत्या करवाए जाने के वृत्तांत हैं, जहां स्वतंत्रता महज एक मूर्ति है।


लेकिन इन सबके बावजूद तख़्तापलट संभावनाओं, उम्मीदों और सच्चे नायकों की किताब है। इनमें से एक हैं बुरकीना फासो के थॉमस संकारा, जिनकी हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा था, ‘अगर आप बुनियादी बदलाव लाना चाहते हैं तो उसके लिए एक हद तक पागलपन की ज़रूरत है। इस मामले में यह नाफ़रमानी से आता है, पुराने सूत्रों को धता बताने और नए भविष्य के निर्माण के साहस से आता है। ऐसे ही पागल लोगों ने हमें वह नज़रिया दिया है, जिससे हम आज पूरे सूझबूझ के साथ काम कर रहे हैं। आज हमें वैसे ही दीवानों की ज़रूरत है। हमें भविष्य के निर्माण का साहस दिखाना होगा।’ तख़्तापलट कुछ ऐसे ही पागलपन और भविष्य रचने के साहस से भरी एक किताब है।

Vijay Prashad
Vijay Prashad is director of Tricontinental: Institute for Social Research, editor at LeftWord Books, and chief correspondent for Globetrotter. He is the author of forty books, including Untouchable Freedom: A Social History of a Dalit Community, Washington Bullets, Red Star Over the Third World, The Darker Nations: A People’s History of the Third World and The Poorer Nations: A Possible History of the Global South. The Darker Nations won the Muzaffar Ahmad Book Prize. He lives in Santiago, Chile.

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Sanjay Kundan
1969 में पटना में जन्म। पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए। कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर, तनी हुई रस्सी पर उनके कविता संग्रह हैं, जबकि बॉस की पार्टी, श्यामलाल का अकेलापन कहानी संग्रह और टूटने के बाद तथा तीन ताल उपन्यास। कुछ लघु और नुक्कड़ नाटकों का भी लेखन। आवर हिस्ट्री, देयर हिस्ट्री, हूज हिस्ट्री (रोमिला थापर), एनिमल फार्म (जॉर्ज ऑरवेल), लेटर्स ऑन सेज़ां (रिल्के), पैशन इंडिया (जेवियर मोरो) और वॉशिंगटन बुलेट्स (विजय प्रशाद) का हिंदी में अनुवाद। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार और हेमंत स्मृति सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। वाम प्रकाशन में संपादक।

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