जम्बूद्वीपे भरतखंडे महर्षि मार्क्स के हथकंडे

एकल नाटक

Author by : Atul Tiwari

9789392017100

LeftWord Books 2022

Language: English

81 Pages

5.5 x 8.5 Inches

In Stock!

Price INR 150.0 Not Available

About the Book

जब कार्ल मार्क्स को मृत्युलोक से धरती पर कुछ पल बिताने का मौका मिलता है, तो वे चुनते हैं हिंदुस्तान की यात्रा करना। यहाँ पहुँचकर वे खोलते हैं अपने जीवन के अध्याय और इसी क्रम में खुलने लगती हैं भारतीय समाज की न जाने कितनी परतें . . .


“पता नहीं आपको कैसा लग रहा होगा मुझे यहाँ मौजूद देख कर? आप सोच रहे होंगे, ‘मार्क्स अभी तक ज़िंदा है? हमने तो सुना था और सोचा था कि . . . वो तो मर गया। उन्नीसवीं सदी में ना सही – तो 1989 में तो definitely मर गया था मार्क्स।’ आपने ठीक सोचा था। मैं 1883 में ही मर गया। पर अब तक ज़िंदा भी हूँ। जी हाँ, ‘मर गया हूँ – पर ज़िंदा हूँ’। हःहःहः! इसी को तो कहते हैं dialectics या द्वंद्ववाद – द्वंद्वात्मकता।”

Atul Tiwari
चित्त से नाटककार-नाट्यनिर्देशक, वृत्ति से पटकथा-संवाद लेखक, संयोग से एक संकोची अभिनेता और अनुभूति-संग्रहालयों के समर्थ-सक्षम रचयिता – अतुल तिवारी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, जर्मन नेशनल थियेटर तथा बर्लिनर आंसाम्ब्ल से प्रशिक्षित हैं। उत्तर भारत के शहरों से लेकर दक्षिण भारत के गाँवों और विदेशों में भी इनके किये नाटक चर्चित रहे हैं। उनकी लिखी दर्जनों फिल्में प्रशंसित-पुरस्कृत हुई हैं। फिल्मों में इनके अभिनय ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। इनके बनाये अनुभूति-संग्रहालय और अभिव्यक्ति-प्रदर्शन दिल्ली, लखनऊ, गांधीनगर, वाराणसी, करतारपुर, कुरुक्षेत्र, जम्मू, श्रीनगर जैसे कई नगरों में स्थाई रूप से स्थापित हैं।

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