कुछ और अलगू, कुछ और जुम्मन

प्रेमचंद की साम्प्रदायिकता विरोधी कहानियां

प्रेमचंद

Edited by : Sanjay Kundan

9789392017124

Language: Hindi

163 Pages

5.5 x 8.5 Inches

In Stock!

Price INR: 250.0 Not Available

Book Club Price INR 100.0

About the Book

ऐसे समय जब कहा जा रहा है कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग संसार हैं, ये कहानियां बताती हैं कि दोनों एक ही मिट्टी में पले-बढ़े हैं और एक-दूसरे में घुले-मिले हैं। आज जब इस्लाम को कट्टर और बर्बर साबित करने का अभियान चल पड़ा है, ये मुस्लिम नायकों की उदारता, क्षमाशीलता और विनयशीलता को सामने लाती हैं। इस संकलन में प्रेमचंद की कुछ बेहद चर्चित और कुछ ऐसी कहानियां भी हैं, जिन पर अब तक कम ध्यान गया है। इनके हिंदू-मुसलमान पात्रों के सुख-दुख समान हैं, उनके सरोकार एक हैं। वे एक सामान्य नागरिक की तरह रोजमर्रा की ज़िंदगी की मुश्किलें झेलते हैं। लेकिन सियासी स्वार्थ के लिए जब उनके मन-मस्तिष्क में सांप्रदायिकता का ज़हर भरा जाता है, तब वे आपस में लड़ने-भिड़ने भी लगते हैं पर आख़िरकार उन्हें इसकी व्यर्थता का अहसास होता है। ये मनुष्यता को प्रतिष्ठित करने वाली कहानियां हैं।

प्रेमचंद
प्रेमचंद (31 जुलाई 1880–8 अक्टूबर 1936) हिंदी-उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय कहानीकार, उपन्यासकार और विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, ग़बन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा पूस की रात, कफ़न, ठाकुर का कुआँ, पंच परमेश्वर और बड़े घर की बेटी जैसी क़रीब तीन सौ कहानियाँ लिखीं। उनके तीन नाटक हैं – कर्बला, संग्राम और प्रेम की वेदी। उन्होंने अपने समय की प्रमुख पत्रिकाओं में सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर अनेक लेख लिखे और हिंदी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन-प्रकाशन किया।

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Sanjay Kundan
1969 में पटना में जन्म। पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए। कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर, तनी हुई रस्सी पर उनके कविता संग्रह हैं, जबकि बॉस की पार्टी, श्यामलाल का अकेलापन कहानी संग्रह और टूटने के बाद तथा तीन ताल उपन्यास। कुछ लघु और नुक्कड़ नाटकों का भी लेखन। आवर हिस्ट्री, देयर हिस्ट्री, हूज हिस्ट्री (रोमिला थापर), एनिमल फार्म (जॉर्ज ऑरवेल), लेटर्स ऑन सेज़ां (रिल्के), पैशन इंडिया (जेवियर मोरो) और वॉशिंगटन बुलेट्स (विजय प्रशाद) का हिंदी में अनुवाद। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार और हेमंत स्मृति सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। वाम प्रकाशन में संपादक।

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