Author by : Sapan Saran
9789392017650
वाम प्रकाशन 2023
Language: Hindi
120 Pages
5.5 x 8.5 Inches
Price INR 175.0 Not Available
‘सपन सारन के नाटक पढ़ना ज़िंदगी को नई नज़र से देखना है। सपन के पास समाज मनोवैज्ञानिक की दृष्टि है और सिंपेथी को एम्पेथी में उन्नत करने की विवेकशील संवेदना भी। इसलिए वह न कमज़ोर की सवारी गाँठ कर रौद्र रूप अख़्तियार करती व्यवस्थाओं और शास्त्रों को माफ़ी देती हैं, न कमज़ोर की रुंधी ताक़तों को आँसुओं में घुलाकर नष्ट करती हैं। वह कमज़ोर और उच्छिष्ट कही जाने वाली अपनी नायिकाओं के अंतर्मन में हौसलों का दीप प्रज्वलित करती हैं, और फिर आस का उजास भरकर उन्हें अपना सूर्य बनाने की प्रेरणा देती हैं।’ — रोहिणी अग्रवाल, आलोचक एवं कहानीकार
‘मैंने सपन सारन को देखा है। आज से पच्च्चीस-तीस साल पहले। जोधपुर में। एकदम भोली-भाली बच्ची। होनहार लह-लह बिरवा। आज वह पत्तों फूलों से लदा हरा-भरा दरख़्त बन चुकी है। रंगकर्म की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा। टिम-टिम सितारा।’ — काशीनाथ सिंह, कथाकार
‘ये बात प्रेरणा का स्रोत है कि सपन हमारी पीढ़ी की आवाज़ हैं।’ — पर्ण पेठे, अभिनेत्री
‘सपन शब्दों का प्रयोग एक नाटककार की तरह करती हैं और सन्नाटों का कवि समान।’ — अरुंधति घोष, पूर्व कार्यकारी निदेशक, इंडिया फाउंडेशन फॉर दी आर्ट्स
‘सपन सारन के इन तीनों नाटकों की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि वे उन्हें मंचित करने के साधन और साहस से लैस हैं।’ — ममता कालिया, कथाकार